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Incest - माँ बैटे कि कहानी

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माँ बैटे कि कहानी

यह उस समय कि बात है जब मैं 17 साल का था. मैं, माँ और पिता जी के साथ रहता था. पिता जी का रेडी-मेड कपडो का कारोबार है और वो अक्सर अपने काम के सिलसिले में दुसरे शहर टूर पर जाते रहते हैं. मैं तब 10th पास कर 11th में कोलेज जाने लगा था.

मेरी माँ मुझको बहुत चाहती थी, क्योंकि मैं उनका अकेला बैटा था. मेरी माँ बहुत प्यार से मेरा ख्याल रखती थी और मैं हमेंशा उनके आस-पास रहना पसन्द करता था. वो बहुत हि सुन्दर थी, एकदम गोरी चिट्टी लम्बे लम्बे काले बाल, कद करीब 5’5" और फ़िगर 38-25-38 था. मैं उनकी चुची पर फ़िदा था और हमेंशा उनकी एक झलक पाने के लिये बैताब रहता था. जब भि काम करते वक्त उनका आन्चल उनकी छाती पर से फिसल कर नीचे गिरता था या वो नीचे झुकती, मैं उनकी चुन्ची कि एक झलक पाने के कोशिश करता था. माँ को इस बात का पता था और वो जान-भूज कर मुझे अपनी चुन्ची का जलवा दिखा देती थी.

यह बात तब हुइ जब मेरे पिता जी काम के सिलसिले में बाहर गये थे. पिता जी मुझे घर पर रह कर पढायी करने को कह कर गए थे, क्योंकि हमारे फ़ाइनल एक्जाम नजदीक आ रहे थे. अगले दिन सुबह के 10 बजे कि ट्रेन से पिता जी चले गये. हम दोनो पिता जी को रेलवे स्टेशन तक विदा करने गये थे. माँ उस दिन बहुत हि खुश थी. जब हम लोग घर पहुन्चे तो उन्होने मुझे अपने कमरे में बुलाया और कहा कि जब तक पिता जी वापिस नही आ जाते, मैं उनके कमरे में हि सोया करु. उन्होने मुझसे अपनी किताब वगैरा वहीं ला कर पढने को कहा.

मैं तो खुशी से झुम उठा और फ़टाफ़ट अपनी टेबल और कुच्छ किताबें उनके कमरे में पहुन्चा दिया. माँ ने खाना पकाया और हम दोनो ने साथ साथ खाना खाया. आज वो मुझ पर कुच्छ ज्यादा हि मेहरबान थी और बार बार किसि न किसि बहाने से अपनी चुन्ची का जलवा मुझे दिखा रही थी. खाना खाने के बाद माँ ने मुझे फल खाने को दिए. फ़ल देते वक्त उन्होने मेरा हाथ मसल दिया और बडे हि मादक अदा से मुस्कुरा दिया. मैं शर्मा गया क्योंकि यह मुस्कान कुच्छ अलग किस्म कि थी और उसमे शरारत झलक रही थी. खाने के बाद मैं तो पढने बैठ गया और वो अपने कपडे बदली करने लगी.

गर्मी के दिन थे और गर्मी कुच्छ ज्यादा हि थी. मैं अपना शर्ट और बनियान उतार कर केवल पैन्ट पहन कर पढने बैठ गया. मेरी टेबल के उपर दिवार पर एक शिशा टन्गा था और माँ को मैं उस शिशे में देख रहा था. वो मेरी तरफ़ देख रही थी और अपने कपडे उतार रही थी. वो सोच भि नहीं सकती थी कि मैं उनको शिशे के अन्दर से देख रहा था. उन्होने अपना ब्लाउज खोल कर उतार दिया. हाय क्या मदमस्त चुन्ची थी. मैं पहली बार स्टैप वाली ब्रा में बन्धे उनके चुची को देख रहा था. उनकी चुन्ची कहीं बडी बडी थी और वो ब्रा में समा नहीं रही थी. आधी चुन्ची ब्रा के उपर से झलक रही थी.

कपडे उतार कर वो बिस्तर पर चित लेट गयी और अपने सीने पर एक दुप्पटे से थोडा ढक लिया. ऎक पल के लिये तो मेरा मन किया कि मैं उनके पास जा कर उनकी चुन्ची को देखु, फ़िर सोचा यह ठीक नही होगा और मैं पढने लग गया. लेटते हि वो सो गयी और कुच्छ हि देर में उनका दुप्पटा उनके छाती से सरक गया और सन्सो के साथ उठती बैठती उनकी मस्त रसिली चुन्ची साफ़ साफ़ देख रहा था. रात के बारह बज चुके थे. मैंने पढायी बन्द कि और बत्ती बुझाने हि वाला था कि माँ कि सुरिली आवाज मेरे कानो में पडी, बैटे इधर आओ न.

मैं उनकी तरफ़ बढा, अब उन्होने अपनी चुन्ची को फ़िर से दुप्पटे से ढक्क लिया था. मैंने पूछा, क्या है माँ? उन्होने कहा, बैटे जरा मेरे पास हि लेट जाओ न, थोडी देर बात करेन्गे फ़िर तुम अपने बिस्तर पर जा कर सो जाना. पहले तो मैं हिचकिचाया लेकिन फ़िर मान गया. माँ बोली, शर्माओ मत. आओ न. मुझे अपने कानो पर यकीन नही हो रहा था. मैंने लाइट बन्द कर दी और नाइट लेम्प जला कर मैं बिस्तर पर उनके पास लेट गया. जिस बदन को सालो से निहारता था आज मैं उसि के पास लेटा हुआ था. माँ का अधनन्गा शरीर मेरे बिलकुल पास था.

मैं ऐसे लेटा था कि उनकी चुन्ची बिलकुल नन्गी मालुम दे रही थी, क्योंकि थोडा सा हिस्सा हि ब्रा में छुपा था. क्या हसीन नजारा था. उन्होने मेरा हाथ पकड कर धीरे से खिन्च कर अपने उभरे हुए चुन्चों पर रख दिया और मैं कुच्छ नहीं बोल पाया लेकिन अपना हाथ उनकी चुन्ची पर रख रहने दिया. मुझे यहाँ कुच्छ खुजा रहा है, जरा सहलओ न. मैंने ब्रा के उपर से हि उनकी चुन्ची को सहलाना शुरु किया. माँ ने मेरा हाथ ब्रा के कप में घुसा कर सहलाने को कहा और मेरा हाथ ब्रा के अन्दर कर दिया. मैंने अपना पुरा हाथ अन्दर घुसा कर जोर जोर से उनकी चुन्ची को रगडना शुरु कर दिया.

मेरी हथेली कि रगड पा कर माँ के निप्पल कडे हो गये. मुलायम मांस के स्पर्श से मुझे बहुत अच्छा लग रहा था लेकिन ब्रा के अन्दर हाथ करके मसलने में मुझे दिक्कत हो रही थी. अचानक वो अपनी पीठ मेरी तरफ़ घुमा कर बोली, बैटे यह ब्रा का हुक्क खोल दो और ठीक से सहलाओ. मैंने कान्पते हुए हाथों से माँ कि ब्रा कि हुक्क खोल दिया और उन्होने अपने बदन से उसे उतार कर नीचे डाल दिया. मेरे दोनो हाथों को अपने नन्गी छाती पर ले जाकर वो बोली, थोडा कस कर दबाओ न. मैं भि काफ़ी उत्तेजित हो गया और जोश में आकर उनकी रसीली चुन्ची से जम कर खेलने लगा.

क्या बडी बडी चुन्चीयां थी. खडी खडी चुन्ची और लम्बे लम्बे निप्पल. पहली बार मैं किसि औरत कि चुन्ची को छू रहा था. माँ को भि मुझसे अपनी चुन्ची कि मालिश करवाने में मजा आ रहा था. मेरा लण्ड अब खडा होने लगा था और अन्डर-वियर से बाहर निकलने के लिये जोर लगा रहा था. मेरा 8" का लण्ड पुरे जोश में आ गया था. माँ कि चुन्ची मसलते मसलते हुए मैं उनके बदन के बिलकुल पास आ गया था और मेरा लण्ड उनकी जान्घो में रगड मारने लगा था. अचानक वो बोली, बैटे यह मेरी टान्गो में क्या चुभ रहा है? मैंने हिम्मत करके जवाब दिया, यह मेरा हथियार है माँ".

मैं हाथ लगा कर देखूं? उन्होने पूछा और मेरे जवाब देने से पहले अपना हाथ मेरे लण्ड पर रख कर उसको टटोलने लगी. अपनी मुठी मेरे लण्ड पर कस के बन्द कर ली और बोली, बाप रे, बहुत कडक है. वो मेरी तरफ़ घुमी और अपना हाथ मेरे अन्डर-वियर में घुसा कर मेरे फ़ड-फ़डाते हुए लण्ड को इलास्टिक के उपर निकाल लिया. लण्ड को कस कर पकडे हुए वो अपना हाथ लण्ड कि जड तक ले गयी, जिससे सुपाडा बाहर आ गया. सुपाडे कि साइज और आकार देख कर वो बहुत हैरान हो गयी. बैटे कहाँ छुपा कर रखा था इतने दिन तक? उन्होने पूछा. मैंने कहा, यहीं तो था तुम्हारे सामने लेकिन तुमने ध्यान हि नही दिया इस पर.

माँ बोली, मुझे क्या पता था कि तुम्हारा इतना बडा होगा. वो मेरे लण्ड को अपने हाथ में लेकर खीन्च रही थी और कस कर दबा रही थी. फ़िर माँ ने अपना पेटिकोट अपनी कमर के उपर उठा लिया और मेरे तने हुए लण्ड को अपनी जान्घो के बीच ले कर रगडने लगी. वो मेरी तरफ़ करवट ले कर लेट गयी ताकी मेरे लण्ड को ठीक तरह से पकड सके. उनकी चुन्ची मेरे मुन्ह के बिलकुल पास थी और मैं उन्हे कस कस कर दबा रहा था. अचानक उन्होने अपनी एक चुन्ची मेरे मुन्ह में ठेलते हुए कहा, चुसो इनको अपने मुन्ह में लेकर.

मैंने उनकी लेफ़्ट चुन्ची को अपने मुन्ह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा. थोडी देर के लिये मैंने उनकी चुन्ची को मुन्ह से निकाला और बोला, मैं हमेंशा तुम्हारे ब्लाउज में कसि चुन्ची को देखता था और हैरान होता था. इनको छुने कि बहुत इच्छा होती थी और दिल करता था कि इन्हे मुन्ह में लेकर चुसु और इनका रस पिऊं. पर डरता था पता नही तुम क्या सोचो और कहीं मुझसे नाराज न हो जाओ. तुम नही जानती माँ कि तुमने मुझे और मेरे लण्ड को कितना परेशान किया है? अच्छा तो आज अपनी तमन्ना पुरी कर लो, जी भर कर दबाओ, चुसो और मज़े लो. मैं तो आज पुरी कि पुरी तुम्हारी हूँ जैसा चाहे वैसा हि करो माँ ने कहा.

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