बहुत अरसा पहले एक कहानी लिखी थी शी-मेल पे. पर कुछ कारणों की वजह से उसे डिलीट कर दिया था.
फिर एक प्रयास उसी विषय पे पर एक नये ढंग से.
जिनेह वो कहानी याद होगी तो कहानी का सारा ज़ोर बचपन से बड़े होते हुए क्या क्या भावनाएँ एक शी-मेल की मा को झेलनी पड़ती हैं, कैसे कैसे दोर से गुज़रना पड़ता है उस पे आधारित थी.
ये जवानी में पहुँच चुके एक शी-मेल की है , जो अपने अतीत के बारे में खुद अपनी दास्तान पेशे खिदमत करेगी.
करेगी क्यूँ लिख मैने ये तो कहानी खुद ही बताएगी.
बहुत अरसे के बाद फिर से लिखना शुरू कर रहा हूँ देखते हैं क्या लिख पाता हूँ.
इस कहानी में इन्सेस्ट और अडल्टरी दोनो का समावेश होगा. ये कहानी पूर्णतया काल्पनिक है.